सतरंगी अरमानों वाले , सपने दिल में पलते हैं ,
आशा और निराशा की , धुन में रोज मचलते हैं ।
बरस-बरस के सावन सोंचे, प्यास मिटाई दुनिया की ,
वो क्या जाने दीवाने तो सावन में ही जलते है ।
आशा और निराशा की , धुन में रोज मचलते हैं ।
बरस-बरस के सावन सोंचे, प्यास मिटाई दुनिया की ,
वो क्या जाने दीवाने तो सावन में ही जलते है ।
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