फिरते रहे बेचैनियों को दिल पे उठाये ,
दीवानगी की लेकिन आदत नही गई |
इश्क तो तहजीब है शरीफजादों की ,
मर गये शरीफों की शराफत नही गई |
फिर वही उलझन वही नफरत पुरानी ,
दीवानों की दुनिया से बगावत नही गई |
साथ - साथ वक्त के बदला बहुत इन्सान ,
फिर भी उसके दिल से मुहब्बत नही गई |
दीवानगी की लेकिन आदत नही गई |
इश्क तो तहजीब है शरीफजादों की ,
मर गये शरीफों की शराफत नही गई |
फिर वही उलझन वही नफरत पुरानी ,
दीवानों की दुनिया से बगावत नही गई |
साथ - साथ वक्त के बदला बहुत इन्सान ,
फिर भी उसके दिल से मुहब्बत नही गई |
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