Friday, May 31, 2013

मुझे मुहब्बत है

जिसको देखो यहाँ वो ही सलाह देता है ,

यही अच्छा है की यारों हम अक्लमंद नही ।

थोड़े मजबूर हैं हालात के हांथों से अभी ,

जिन्दगी जंग है इससे बड़ी कोई जंग नही  ।

अभी तो बंद है मुट्ठी किसे मालूम क्या है ,

अभी तो हमने दिखाए कई और रंग नही ।

इक अकेले भी जिधर चल दूँ जीत लूँ दुनियां   ,

क्या फर्क पड़ता है जो तू भी मेरे संग नही ।

गम इतना है तू वादों से मुकर जाता है ,

ये बेवफाई है ये इश्क का कोई ढंग नही ।

मैं जिउंगी भला कैसे मुझे मुहब्बत है  ,

दिल को ये दर्द है पर दर्द से दिल तंग नही ।

तू मुकर जायेगा कब तक निभाएगा यारी ,

मैं जानती थी इस हालात से मैं दंग  नही । 

शायरी

आतिशबाजियां तो हुई नही न ही राख हैं न ही आग है ,,


धूं - धूं के फिर क्या जल रहा मेरा दिल है या की चिराग है ।


मैं क्या करूं

मैं क्या करूं ये दिल मेरा सम्भले नही कुछ तो कहो ।

अच्छा नही लगता मुझे इस दर्द का कुछ तो करो ।

चलो रो नही सकते हो मेरे साथ तो कोई गम नहीं ,

पर ये भी कोई बात है मैं रोऊँ तुम देखा करो  । 

शायरी

मसला ये है दिल को आएगी कब अकल ,


दीवाना आज रो रहा है दिल जला था कल ।  

Tuesday, May 28, 2013

मतलब की बात

अच्छा है जो मतलब है तो मतलब की बात हो ।
मैं ही न एक मतलबी हूँ सब की बात हो ।

किस - किस ने निभाए हैं कहो जात के उसूल ,
बस ठोकते हैं सीना जब मजहब की बात हो ।

पूछे कोई पंडित से मौलबी से जाके ये ,
देशभक्ति हो या पहले रब की बात हो ।

चर्चों में रहे मखमली गुलाबी होठ ही  ,
कभी तो फटे भूखे - सूखे लब की बात हो ।

इंसान को इंसान पे यकीन न रहा ,
फिर कौन सी तहजीब किस अदब की बात हो ।

लिबास दिखावे का सब उतार दे तन से ,
कयामत से भी ज्यादा ये गजब की बात हो । 

शायरी

मेरे गम में तो सनम रो ले मेरे साथ कभी ।
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ये गम तेरे ही दिए हैं क्या तुझे याद नही ।


Sunday, May 26, 2013

जनता है फिर उलझन में

पूछा गया जब उनसे सच हालात के ऊपर ,

परदा वो डालते मिले हर बात के ऊपर  ।

मसला हो जब आवाम का निकले कहाँ से हल ,

हंगामा बड़ा बरपा आधी रात के ऊपर ।

वो क्यूँ नही खुशहाली चाहते हैं देश की ,,

उतरते नही खड़े क्यूँ अपनी बात के ऊपर ।

दिखाती नही गरीबी बेबसी गरीब की ,

एनक लगा हुआ है सबकी आँख के ऊपर ।

चुनाव आने को है फिर निकले रंगे सियार ,

गाते हैं गीत अपने करामात के ऊपर ,

जनता है फिर उलझन में मुहर किस पे लगाये ,

बुडे हालात के उपर या उनके हाथ के ऊपर । 

Friday, May 24, 2013

''जनाब इश्क में ऐसे ही हाल रहते हैं । ''

आजकल हम बड़े ही बेखयाल रहते हैं ।
दिल में न जाने क्यूँ इतने सवाल रहते हैं ।

दिल से पूछा तो कहा उसने खुमारी का सबब ,
''जनाब इश्क में ऐसे ही हाल रहते हैं । ''

वादों ने कहा मुझसे

जान-बुझकर जब हम ये सोंचकर  गिरे ,,

देखें सम्भालने भला आता है मुझे कौन ।

वादों ने कहा मुझसे ; जब कोई नही आया ,

मैं कहने की चीज हूँ, निभाता है मुझे कौन। 

शायरी

तेरी याद में जब रोते हैं तो सोंचते हैं हम ,

तुम आके रोक लोगे और रोने नही दोगे ।

आँखों से लेके आंसूं मेरे सीने से लेके गम ,

लग के गले से गमजदा होने नही दोगे  । 

Thursday, May 23, 2013

शायरी

हर रोज एक - दूजे को देते हैं सफाई ।
                           कभी इसकी दुहाई तो कभी उसकी दुहाई ।

इसी बात में तो दोस्ती का असली मजा है ,
                       कभी गुस्से में प्यार हो कभी प्यार में लड़ाई ।

Wednesday, May 22, 2013

शायरी

हीरा क्यूँकर बताये उसमे चमक कितनी है ,,

जौहरी हो तो बतादो की परख कितनी है ।

लोग हकीकत को फसाने में बदल देते हैं ।

लोग हकीकत को फसाने में बदल देते हैं ।
तोड़ के जनमों के वादों को भी चल देते हैं ।

कितनी हसरत से सजाता है कोई दिल का जहाँ ,
कोई पल में उजाड़ दिल को निकल लेते हैं ।

फूल डाली पे ही कितना हसीन लगता है ,
खामखाह तोड़ के उसको क्यूँ मसल देते है ।

मसला गहरा है सोंचते हैं उनसे पूछेंगे ,
बड़े शातिर हैं वो बातों को बदल देते हैं ।

वो खामोश है उनको भी मुहब्बत है हुई  ,
झूठे भरम में अपने दिल को भी छल लेते हैं ।

कितनी हालत बुरी है देश की कहना मुश्किल ,
और वो कहते हैं की विकास पे बल देते हैं ।

लोग रोते तो दिखते हैं हर चौराहे पे ,
रात ढलते ही आंसूं पोछ के चल देते हैं ।  

शायरी

उलझनें हैं बहुत इनमे उलझ के न बिखड़ना ।
                                बेवजह दुनियां के झमेले में न पड़ना  ।

ये जिन्दगी सदा दोस्तों के साथ बसर हो  ,
                              इतनी सी दुआ करना कुछ और न करना ।

Tuesday, May 21, 2013

शायरी

तुम रहो साथ अमावस भी हो दिवाली है ।
                     तुम न हो चांदनी खिली भी हो तो काली है ।

शाम ढलते ही यही बात सताती है मुझे ,,
                       तुम नही आओगे फिर रात होने वाली है । 

Monday, May 20, 2013

शायरी

किसी की जिन्दगी में इसकदर शामिल ना  हो ।

जब निकलना हो ,निकलने में मुश्किल ना हो ।

दिल लगाने में इतना तो एहतियात रखें ,,

मिलने बिछड़ने में जख्मी किसी का दिल ना हो । 

शायरी

ना जानू किस हाथ ने थामी मन की डोर ,,,

कलम तो मेरे हाथ है लिखने वाला और ।

नजरें सबकी मुझपे है मेरे नाम का शोर ,,,

करता तो कोई ऒर है सर मेरे सिरमौर । 

Saturday, May 18, 2013

शायरी

उसने इतना ही कहा था की याद करना मुझे , 


हम खुद को भूल बैठे उसको याद करने में ।

Friday, May 17, 2013

बदलाव क्यूँ नही आती

बदलाव क्यूँ नही आती ,,बदलाव क्यूँ नही आती ,,

नारे रोज लगते हैं बदलाव ही नही आती ।

अगर कहने से कुछ होता तो क्या कुछ हो गया होता ,

बदलाव कही तो जाती है ,बदलाव की नही जाती ।

न हमने सोंच बदली है न हमने राह बदली है ,,

नसीहत दे तो आते हैं नसीहत ली नही जाती ।

बदलता वक्त का पहिया अपने चाल को हर दिन ,

मगर आदत है की इंसान की बदली नही जाती ।

शायरी

चंद सिक्कों की खनक सुनके कैसे खो गया है ,,


खुदा ही जाने अब इंसान को क्या हो गया है । 

Tuesday, May 14, 2013

रात की रानी

हम जगे हैं, रात जगी है , तारे जगे हैं ,चाँद जगा  है ।
हम चलो बीमारे दिल हैं, इन सबको क्या रोग लगा है ।

नींद न आई कई रातों से, कुछ न कुछ मतलब तो होगा ,
खौफ नही है ,जश्न नही है , रंज नही , फिर मसला क्या है ।

रात की रानी रूठी हुई है, मानती ना है कई रातों से ,
गलतफहमियां ज्यादा हो गई , लगे है मसला बहुत बड़ा है ।

सब के सब आगोश में तेरे , इक हम से ही आँखमिचौनी ,
दामन तेरा , पहलू तेरे , रातें तेरी , तेरी रजा है ।

बैठे रहे हम राह में तेरे , पलके न झपकाए इक पल ,
इतना तो बतलादो रानी , अब फिर मिलने कब आना है । 

शायरी

लाये न शिकन चेहरे पे शिकवों की एकबार ,


आखिर तुम्हे आ ही गया मतलब निकलना । 

Sunday, May 12, 2013

शायरी

तुम ही कह दो गर तुम्हारी बात सुनता हो खुदा ,,


मांग लो इकबार मुझको मांग कर उससे दुआ ,,

HAPPY MOTHERS DAY DOSTON

जिसने मेरी गलति को मेरा बचपना कहा होगा ,,,

वो मेरी माँ है ,,,उसे मेरा दोष ही न दिखा होगा ।


शायरी

 रोज का ये फलसफा है , रोज ही ये बात होगी ।
                           सुबह होगी दिन ढलेगा  , शाम होगी रात होगी ।

किसलिए दिल गमजदा है ,जिन्दगी बांकी अभी ,
                आज अपना दिन नही है कल तो किस्मत साथ होगी । 


शायरी

मौत का डर उन्हें हो जिनको जिन्दगी हो मिली ,

हम तो न मौत के हुए न जिन्दगी के कभी । 

शायरी

इतनी जहमत न उठाओ झुकाने को मुझे ,


बस तुम प्यार कह दो सर हमारा खुद ही झुक जाये ।  

Thursday, May 2, 2013

नफरत से डरते है

हमने कब कहा तुमसे,,,, हम मुहब्बत से डरते हैं ,,,

कहीं लग जाये न दिल को ये, दिल की लत से डरते हैं ,,

कल का क्या पता क्या हो ,,तुम न हाले दिल समझो ,,

हम तेरे प्यार से ज्यादा@ ,,,,,@तेरी नफरत से डरते है ।  

मुहब्बत यही है

खुदा से यही इक शिकायत रही है ,
क्यूँ सपनों के जैसा हकीकत नही है ।

नही है अगर तो ढिंढोरा न पिटो ,
समझ तो गये हम मुहब्बत नही है ।

उन्हें कोई हाँ भी तो कहना सिखादो ,
ना कहने की ये अच्छी आदत नही है ।

न देखा पलट के , नही हाल पूछा ,
सुनो यूँ मुकरना शराफत नही  है ।

न समझो की तुमसे खफा हो रहे है ,
शिकायत हमारी बगावत नही है ।

सारे जहाँ को खबर हो गई पर ,
तुम ही न समझे मुहब्बत यही है ।


Wednesday, May 1, 2013

टूटते हैं रोज सपने

टूटते तारों के जैसे टूटते हैं रोज सपने ,
सोंचते हैं हम भी अब ख़ाब बुनना छोड़ दें।

एक ही थी आरजू वो भी नही सुनता खुदा ,
बेकार है फिर बन्दगी सब कहना सुनना छोड़ दें  ।

हर हाल में जीना पड़े ये भी कहो कोई बात है ,
इतनी आजादी तो मिले जब चाहे जीना छोड़ दें।