शायद किस्मत में मेरी बहुत धूप है ,
मेरी मंजिल अभी तक बहुत दूर है ।
है मुहब्बत नही तुझको मुझसे मगर ,
मेरा दिल तो मुहब्बत में मज़बूर है ।
न खुदाई मिली न रिहाई मिली ,
या खुदा तेरा कैसा ये दस्तूर है ।
आगे रस्ता नही पीछे जाना नही ,
जाने किस्मत को मेरी क्या मंजूर है ।।
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