कल तन्हाई से डरता था ,
दिल को अब महफ़िल से डर है ।
सब हेरा-फेरी है दिल की ,
ये सारे झगड़े की जड़ है ।
मेरे पाओं में बेड़ी है ,
आँखों में सपनों का घर है ।
बेगैरत की खातिर आँसूं ,
क्यूँ ये जिल्ल्त मेरे सर है ।
उनके दिल से बाहर आकर ,
अब बेचारा दिल बेघर है ।।
क्या बात ...
ReplyDeleteधन्यवाद sir
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