Saturday, September 13, 2014

क्या हो गर सच बेपरदा हो

क्या हो गर सच बेपरदा हो,
सारा जग सूली चढ़ता हो,

मैं भी मुजरिम तू भी मुजरिम, 
जब सब का सब ही झूठा हो ,  

फिर कोई भी ना अपना हो,  
हर रिश्ता नाता कडवा हो,  
 
हम झूठों की इस दुनियाँ में ,  
सच को ही हम से खतरा हो, 
 
अच्छा है जो ये परदा है,  
ना हो तो क्या जाने क्या हो, 
 
सच तो सच होता है यारो,  
परदा हो या बेपरदा हो ।


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