अगर तेरी यही फितरत है, की हो जख्म इस दिलपर ,
लगा वो घाव की दिलबर, हमारी जान पर आये ।
कहीं ऐसा न हो की , चोट जब जी भर लगले तू ,
मैं मुस्कुराऊं और तुम्हारी आँख भर आये ।
लगा वो घाव की दिलबर, हमारी जान पर आये ।
कहीं ऐसा न हो की , चोट जब जी भर लगले तू ,
मैं मुस्कुराऊं और तुम्हारी आँख भर आये ।
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