माना तेरी दुनियां में हम बदनाम बहुत हैं ,
पर इश्क की दुनियां में अपना नाम बहुत है ।
दीवानों को दुनियां को जितने से भला क्या ,
दिल जीत ले किसी का ये मुकाम बहुत है ।
इत्मिनान रख तू ऐ दीवानगी मेरी ,
पहले ही मुहब्बत पे इल्जाम बहुत है ।
इक पल के लिए दिल को कहीं चैन नही है ,
और कहने को दीवानों को आराम बहुत है ।
वो आये और मुस्कुरा के देखते रहे ,
हम होश में हैं फिर भी ये इनाम बहुत है ।
कुछ पाने की दिल की अब चाहत नही रही ,
हम दिल में हैं उनके यही अंजाम बहुत है ।
पर इश्क की दुनियां में अपना नाम बहुत है ।
दीवानों को दुनियां को जितने से भला क्या ,
दिल जीत ले किसी का ये मुकाम बहुत है ।
इत्मिनान रख तू ऐ दीवानगी मेरी ,
पहले ही मुहब्बत पे इल्जाम बहुत है ।
इक पल के लिए दिल को कहीं चैन नही है ,
और कहने को दीवानों को आराम बहुत है ।
वो आये और मुस्कुरा के देखते रहे ,
हम होश में हैं फिर भी ये इनाम बहुत है ।
कुछ पाने की दिल की अब चाहत नही रही ,
हम दिल में हैं उनके यही अंजाम बहुत है ।
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