जिससे हुआ है प्यार ,उससे गिला भी है ।
मंजिल पे खड़ा हैं , जमात हैं हजारों की ,
वही रास्ते में था तो , तन्हां चला भी है ।
चिंगारी ने जब चाहा है ,जला डाला आशियाँ ,
पर और जले उससे पहले , खुद जला भी है ।
हैं निम - करेले में , कडवाहटें जितनी ,
नजरें बदल के देखलो , उतना भला भी है ।
है राज अँधेरे औ , उजाले का बस इतना ,
जिसका उदय हुआ है , इकदिन ढला भी है ।
इंसान ने इंसान को ,धोखा दिया तो क्या ,
इंसान ने कई बार तो ,खुद को छला भी है ।
इतना न कर गुमान , वक्त किसका हुआ है ,
है ये जितना वफादार उतना बेवफा भी है । |
वाह लाजवाब शेर सभी ....
ReplyDeleteधन्यवाद Digamber Naswa ji
ReplyDelete