Sunday, September 28, 2014

प्यार का सदमा

 न हँसता है न रोता है,तड़पता है मचलता है,
बिछड़ के तुझ से मेरा दिल बड़े सदमे में रहता है ।।






Thursday, September 25, 2014

दिल का क्या किया जाये

बड़ा मुँहजोर है ये दिल कभी सुनता नही मेरी, 
किसी का हो गया जाके ये इसका क्या किया जाये ।


Saturday, September 20, 2014

यादों को पन्नों पे बिखेड़ा जाये


दिल की आवाज से तन्हाई को तोड़ा जाये,
आज फिर दर्दे- दिले-साज को छेड़ा जाये,  


खोल दिल बंद पड़े अपने पिटारे सारे ,  
आज फिर यादों को पन्नों पे बिखेरा जाये ।|




Monday, September 15, 2014

मुहब्बत किस को कहते हैं

बताने की , दिखाने की , जताने की जरूरत क्या ,
मुहब्बत कर के खुद समझो मुहब्बत किस को कहते हैं ।






बागी

उसी को भूलना था मैं उसी को याद करती हूँ ,
अभी मैं अपने ही दिल में किसी बागी के जैसी हूँ ।



Saturday, September 13, 2014

क्या हो गर सच बेपरदा हो

क्या हो गर सच बेपरदा हो,
सारा जग सूली चढ़ता हो,

मैं भी मुजरिम तू भी मुजरिम, 
जब सब का सब ही झूठा हो ,  

फिर कोई भी ना अपना हो,  
हर रिश्ता नाता कडवा हो,  
 
हम झूठों की इस दुनियाँ में ,  
सच को ही हम से खतरा हो, 
 
अच्छा है जो ये परदा है,  
ना हो तो क्या जाने क्या हो, 
 
सच तो सच होता है यारो,  
परदा हो या बेपरदा हो ।


Wednesday, September 10, 2014

बच्ची थी तब अच्छी थी माँ

जब जी करता रो लेती थी  ,
गम भी हँसके ढो लेती थी ,
बच्ची थी तब अच्छी थी माँ ,
गोदी में ही सो लेती थी ।

अब ना मैं जिद कर पाती  हूँ ,
ना अपने पे अड़ पाती  हूँ ,
इक वो दिन था जब मैं तुझसे ,
जो मरजी हो वो लेती थी  ।

एक तू ही दौलत थी मेरी  ,
तेरी हो कर थी मैं पूरी ,
गम भी मुझको कम लगते थे ,
जब मैं तेरी हो लेती थी  ।

तेरी ममता खो कर रोई ,
रहती हूँ मैं खोई - खोई  ,
तेरे चरणों में माँ  आ  के
पापों को भी धो लेती थी ।

तेरे दामन में छिप जाती ,
गर मैं फिर बच्ची बन पाती ,
माँ बनकर मैंने ये जाना ,
माँ तू कितने गम ढोती थी ।




Tuesday, September 9, 2014

प्यार का रंग

उसका प्यार था ऐसा बरसते पानी के जैसा ,


मौसम के उतरते प्यार का रंग भी उतर गया । ।


Monday, September 8, 2014

बेवफा

बेवफा तुझसे वफाओं का सिला क्या होगा ,
तू भला कर न सका तेरा भला क्या होगा ,

तेरी आँखों में मुहब्बत के सिवा सब कुछ है ,
तेरे खवाबों में तबाही के सिवा क्या होगा । ।


Saturday, September 6, 2014

गुनाह

वो बेवफा है बात भी ये जानते रहे ,
फिर भी गुनाह ये की उसे चाहते रहे । ।


Tuesday, September 2, 2014

अब बेचारा दिल बेघर है

कल तन्हाई से डरता था ,
दिल को अब महफ़िल से डर है ।

सब हेरा-फेरी है दिल की ,
ये सारे झगड़े की जड़ है ।

मेरे पाओं में बेड़ी है ,
आँखों में सपनों का घर है ।

बेगैरत की खातिर आँसूं ,
क्यूँ ये जिल्ल्त मेरे सर है ।

उनके दिल से बाहर आकर ,
अब बेचारा दिल बेघर है ।।



Monday, September 1, 2014

मुझे कुछ उसके सिवा याद नही

इक वो की हर बात मेरी भूल गया  ,

इक मैं , मुझे कुछ उसके सिवा याद नही  । 

मेरी मंजिल अभी तक बहुत दूर है

शायद किस्मत में मेरी बहुत धूप है ,
मेरी मंजिल अभी तक बहुत दूर है ।

है मुहब्बत नही तुझको मुझसे मगर ,
मेरा दिल तो मुहब्बत में मज़बूर है ।

न खुदाई मिली न रिहाई मिली ,
या खुदा तेरा कैसा ये दस्तूर है ।

आगे रस्ता नही पीछे जाना नही ,
जाने किस्मत को मेरी क्या मंजूर है ।।