मैं तुमको भूल तो जाऊं मगर लगता है यूँ मुझको ,
ये मेरी जिंदगी बिन तेरे मुकम्मल नही होगी ।
मैं पा लूंगी जमाने भर की खुशियाँ भी मगर फिर भी ,
मुझे सच्ची मुहब्बत अब कभी हासिल नही होगी ।
ये रातें और काली और काली लग रहीं मुझको
यूँ लगता है कभी रौशन मेरी महफ़िल नही होगी ।
अगर मैं टूट कर बिखरी वफ़ा पर आँच आएगी ,
मैं खुद को जोङ लूँ दुनियां मगर हासिल नही होगी ।
मैं कल जो रूठकर बोली नही उनसे तो वो समझे ,
मैं संगदिल हूँ वफ़ा मेरी कभी काबिल नही होगी ।
ये रातें और काली और काली लग रहीं मुझको
ReplyDeleteयूँ लगता है कभी रौशन मेरी महफ़िल नही होगी ..
हर अँधेरे के पीछे रौशनी दबे पाँव आती रहती है ... हर शेर लाजवाब है ...
Digamber Naswa ji बहुत - बहुत आभार सर आपका
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