Theme of this blog is love and emotions attached . Songs , Gajals , Shayri written on this blog are completely my personal vies and feelings which i put into words. You can find different kind of emotion related to love and passion arranged into words which will touch your heart.
Sunday, November 23, 2014
मैं भी आधी रह जाती हूँ वो भी आधा रह जाता है
आँधी जब उठती है दिल में ,आँखों से गम बह जाता है,
मुझसे बाहर हो कर भी कुछ मेरे अंदर रह जाता है ।
खालीपन है सूनापन है ,है तबियत भी पहले जैसी,
जख्मों के भर जाने पर भी दागी दामन रह जाता है ।
उतना फल उसको मिलता है जो जितना झुककर रहता है ,
जो जितना खाली होता है उतना अकड़ा रह जाता है ।
दिल की बातें दिल के गम लिखने भर से कब कम होते हैं ,
जितना भी लिक्खा जाता है उतना बाँकी रह जाता है ।
सारी दुनियाँ पा लेने की चाहत तो सब की होती है ,
पर सब कुछ पा लेने पर भी बाँकी सपना रह जाता है ।
बिछड़े जो हम उनसे वो हम से तब से ऐसे आलम है ,
मैं भी आधी रह जाती हूँ वो भी आधा रह जाता है ।।
मुझसे बाहर हो कर भी कुछ मेरे अंदर रह जाता है ।
खालीपन है सूनापन है ,है तबियत भी पहले जैसी,
जख्मों के भर जाने पर भी दागी दामन रह जाता है ।
उतना फल उसको मिलता है जो जितना झुककर रहता है ,
जो जितना खाली होता है उतना अकड़ा रह जाता है ।
दिल की बातें दिल के गम लिखने भर से कब कम होते हैं ,
जितना भी लिक्खा जाता है उतना बाँकी रह जाता है ।
सारी दुनियाँ पा लेने की चाहत तो सब की होती है ,
पर सब कुछ पा लेने पर भी बाँकी सपना रह जाता है ।
बिछड़े जो हम उनसे वो हम से तब से ऐसे आलम है ,
मैं भी आधी रह जाती हूँ वो भी आधा रह जाता है ।।
Saturday, November 22, 2014
Friday, November 21, 2014
मैंने चाहत इस तरह बदली
जमाना इस तरह बदला रिवायत इस तरह बदली ।
की पहचानी न जाती है मुहब्बत इस तरह बदली ।
मैं उस बिन जी न पाऊँगी मुझे कुछ ऐसा लगता था
न जाने कब कहाँ मैंने ये आदत किस तरह बदली ।
वो जिस को घर बचाना था वो ही घर का लुटेरा था
कहाँ किसको खबर थी है शराफत इस तरह बदली ।
बना था देवता मन का मगर तन का पुजारी था ,
जमाने ने मुहब्बत की रिवायत इस तरह बदली ।
मुझे जिसकी तमन्ना थी वो ही मुझ को न मिलना था
मिला जो उसको चाहा मैंने चाहत इस तरह बदली । ।
की पहचानी न जाती है मुहब्बत इस तरह बदली ।
मैं उस बिन जी न पाऊँगी मुझे कुछ ऐसा लगता था
न जाने कब कहाँ मैंने ये आदत किस तरह बदली ।
वो जिस को घर बचाना था वो ही घर का लुटेरा था
कहाँ किसको खबर थी है शराफत इस तरह बदली ।
बना था देवता मन का मगर तन का पुजारी था ,
जमाने ने मुहब्बत की रिवायत इस तरह बदली ।
मुझे जिसकी तमन्ना थी वो ही मुझ को न मिलना था
मिला जो उसको चाहा मैंने चाहत इस तरह बदली । ।
Wednesday, November 12, 2014
जिंदगी बिन तेरे मुकम्मल नही होगी
मैं तुमको भूल तो जाऊं मगर लगता है यूँ मुझको ,
ये मेरी जिंदगी बिन तेरे मुकम्मल नही होगी ।
मैं पा लूंगी जमाने भर की खुशियाँ भी मगर फिर भी ,
मुझे सच्ची मुहब्बत अब कभी हासिल नही होगी ।
ये रातें और काली और काली लग रहीं मुझको
यूँ लगता है कभी रौशन मेरी महफ़िल नही होगी ।
अगर मैं टूट कर बिखरी वफ़ा पर आँच आएगी ,
मैं खुद को जोङ लूँ दुनियां मगर हासिल नही होगी ।
मैं कल जो रूठकर बोली नही उनसे तो वो समझे ,
मैं संगदिल हूँ वफ़ा मेरी कभी काबिल नही होगी ।
Monday, November 10, 2014
Sunday, November 9, 2014
अजन्मा भूत
एक पीपल पर एक भूत रहता था । वो अक्सर आस - पास खेलने वाले बच्चों को पकड़ लेता था ।
पूरा मुहल्ला परेशान । ओझा बुलाये गए और ओझा द्वारा भूत बुलाया गया । पर ओझा के
लाख कोशिशों के बाद भी भूत न भागा न कुछ बोला ।
आखिर में हार कर ओझा ने उसी पीपल के
दूसरे भूत को बुलाया ।पता चला ये किसी अजन्मे बच्चे का भूत है जो किसी भूत से भी बात नही करता ।
अब ओझा ने सोंचा 'बच्चा जरूर इसी मुहल्ले का है ,और अपनी माँ को ढूंढ रहा है । ओझा ने पूरे मुहल्ले
की औरतों को जमा किया और भूत को एक बच्चे में बुलाया । अब भूत को अपनी माँ को पहचानने को कहा गया पर उसने पहचानने से इनकार दिया ।ओझा फिर नाकाम रहा ।
बड़ी समस्या हो गई । अब ओझा ने मुहल्ले की सभी औरतों से बात की पर सभी भूत को अपना बच्चा मानने से इनकार कर दिया ।
एकाएक बच्चा बोल पड़ा ; मैं जानती हूँ इन्हीं ओरतों में मेरी माँ है । वो मुझे पहचानती हैं पर मुकर रही हैं । अब मैं गाँव छोड़कर जा रही हूँ । बस मैं अपनी माँ से ये कहने आई थी माँ अगर मैं होती ,
भैया को तुम्हे घर से निकालने नही देती ,भाभी को तुम्हे गालियाँ देने नही देती । माँ मैं तुम्हे तन्हा होने नही देती । काश ! मैं आज जिन्दा होती।
पूरा मुहल्ला परेशान । ओझा बुलाये गए और ओझा द्वारा भूत बुलाया गया । पर ओझा के
लाख कोशिशों के बाद भी भूत न भागा न कुछ बोला ।
आखिर में हार कर ओझा ने उसी पीपल के
दूसरे भूत को बुलाया ।पता चला ये किसी अजन्मे बच्चे का भूत है जो किसी भूत से भी बात नही करता ।
अब ओझा ने सोंचा 'बच्चा जरूर इसी मुहल्ले का है ,और अपनी माँ को ढूंढ रहा है । ओझा ने पूरे मुहल्ले
की औरतों को जमा किया और भूत को एक बच्चे में बुलाया । अब भूत को अपनी माँ को पहचानने को कहा गया पर उसने पहचानने से इनकार दिया ।ओझा फिर नाकाम रहा ।
बड़ी समस्या हो गई । अब ओझा ने मुहल्ले की सभी औरतों से बात की पर सभी भूत को अपना बच्चा मानने से इनकार कर दिया ।
एकाएक बच्चा बोल पड़ा ; मैं जानती हूँ इन्हीं ओरतों में मेरी माँ है । वो मुझे पहचानती हैं पर मुकर रही हैं । अब मैं गाँव छोड़कर जा रही हूँ । बस मैं अपनी माँ से ये कहने आई थी माँ अगर मैं होती ,
भैया को तुम्हे घर से निकालने नही देती ,भाभी को तुम्हे गालियाँ देने नही देती । माँ मैं तुम्हे तन्हा होने नही देती । काश ! मैं आज जिन्दा होती।
"किस ऑफ़ लव " और महिलायें
"किस ऑफ़ लव " जैसे कार्यक्रमों में महिलाओं की हिस्सेदारी हास्यास्पद है ।
महिलाओं , युवतियों और बच्चियों पर होनेवाले अत्याचारों में दिनों - दिन
बढ़ोतरी हो रही है और महिलायें "किस ऑफ़ लव " डे मना रही हैं । एक
जागरूक और सकारात्मक सोंच के साथ महिलाओं को किसी उद्देश्यपूर्ण
कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिए ।' किस ' और 'लव ' का मुद्दा तब उठना
चाहिए जब हम आश्वस्त हो जाये की देश में सारी महिलाएं सुरक्षित हैं ।
महिलाओं , युवतियों और बच्चियों पर होनेवाले अत्याचारों में दिनों - दिन
बढ़ोतरी हो रही है और महिलायें "किस ऑफ़ लव " डे मना रही हैं । एक
जागरूक और सकारात्मक सोंच के साथ महिलाओं को किसी उद्देश्यपूर्ण
कार्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिए ।' किस ' और 'लव ' का मुद्दा तब उठना
चाहिए जब हम आश्वस्त हो जाये की देश में सारी महिलाएं सुरक्षित हैं ।
Saturday, November 8, 2014
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