शोर है कितना मुहब्ब्त है , मुहब्ब्त है नही ।
फूल और तोहफे सजावट है , मुहब्ब्त है नही ।
ले चलो उस पार कि जिस पार हो दिल का जहाँ ,
इस जहाँ में है तो नफरत है मुहब्ब्त है नही ।
मुस्कुराहट में भी कितनी बात, कितनी घात है ,
आशिकी में भी बनावट है , मुहब्ब्त है नही ।
मैं खफा न हूँ तो तुम मेरी रजा मत मान लो ,
ये मेरे दिल कि शराफत है , मुहब्बत है नही ।
मांगने तक ठीक था अब छीनने पर आ गये ,
ये तो वहशत है बगावत है , मुहब्ब्त है नही ।
अपने बंदों को भी तू देता नही अपना पता ,
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