Wednesday, September 13, 2017

ख़ाबों को मोड़ना होगा

अपने परों को उड़ने से रोकना होगा,
परिंदे फिर तुझे पिंजरे में लौटना होगा,

वक़्त के हाथ पतवार है तेरी - मेरी ,
हवाएं मुड़ गई ख़ाबों को मोड़ना होगा।।
By
प्रीति सुमन

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