Theme of this blog is love and emotions attached . Songs , Gajals , Shayri written on this blog are completely my personal vies and feelings which i put into words. You can find different kind of emotion related to love and passion arranged into words which will touch your heart.
Thursday, October 29, 2015
Saturday, September 26, 2015
Thursday, September 17, 2015
Wednesday, September 2, 2015
Wednesday, July 29, 2015
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Sunday, July 19, 2015
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Tuesday, July 7, 2015
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Saturday, May 30, 2015
Wednesday, May 27, 2015
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Wednesday, April 22, 2015
Sunday, April 19, 2015
Monday, April 6, 2015
Sunday, March 29, 2015
कहानी - खाली लिफाफ
कहानी का शीर्षक - खाली लिफाफ
एक बंगले के बाहर मोटा सा ताला लटका देखकर एक चोर आधी रात को चोरी करने गया । वो एक खुली हुई खिड़की से बँगले के अंदर घुसा । चोर ने पूरा मकान छान मारा पर उसे कोई भी कीमती सामान नही मिला । तभी उसे किसी के खाँसने की आवाज सुनाई दी । वो पर्दे के पीछे छिप गया । उसने अँधेरे में बिछावन पर एक आकृति देखी । वो और सावधान हो गया । ,तभी सरसराहट हुई और एक बूढी औरत उठकर बिछावन पर बैठ गई ।
बूढी औरत ने खाँसते हुए आवाज लगाई - आ गया बेटा । दवा लाया है । लगता है मुझे आज दिन से ही फिर बुखार आ गया है । दिखाई तो अब साफ़ देता नही दवाई कैसे खाती । फिर इंदू ( नौकरानी ) मुझे डाँटती है की मैं दवाई नही खाती । बेटा बोलता क्यूँ नही । आ गया क्या । तेरी बीबी भी है क्या पास में । कलमुंही ने पता नही क्या जादू कर दिया है मेरे बेटे पर । श्रवण कुमार जैसा मेरा बेटा अब डर - डर के जीता है ।
बीमारी के कारण कमजोर बुढ़िया की आवाज लड़खड़ाने लगी और वो जोर - जोर से खाँसने लगी । चोर चुपके से भागने के लिए खिड़की की लपका तो हल्की सी आहट हो गई।
बूढी औरत ने एक बार फिर साँस भर के आवाज लगाई - बेटा एक ग्लास पानी तो दे दे । पूरा बदन बुखार से तप रहा है । ये इंदू है न ये भी मेरा कहा नही सुनती । पानी - पानी मांगती रहती हूँ पानी नही देती । निकाल दे इसे नौकरी से । कामचोर है ये ।
चोर खिड़की से बाहर झाँकता है , फिर बूढी औरत की ओर देखता है । कुछ सोंचकर वापस आता है और समीप से बुढ़िया को देखता है । इतनी कमजोर , लाचार बुजुर्ग को देखकर उसे तरस आ जाता है । वो बुढ़िया को पानी पिलाने का संकल्प करके ग्लास में पानी डालकर बुढ़िया को देता है ।
बूढी औरत खुश होकर उसके मुँह पर हाथ फेरते हुए कहती है - मुकेश बेटा चुप - चुप क्यूँ है । खाना खाया बेटा ।
चोर सकपका जाता है फिर ताकत समेटकर बुढ़िया से कहता है - अम्मा मैं मुकेश का दोस्त हूँ राजीव । तू बीमार है न इसलिए मुझे मुकेश ने तेरे पास भेजा है । वो थोड़ी देर में आएगा ।
चोर सकपका जाता है फिर ताकत समेटकर बुढ़िया से कहता है - अम्मा मैं मुकेश का दोस्त हूँ राजीव । तू बीमार है न इसलिए मुझे मुकेश ने तेरे पास भेजा है । वो थोड़ी देर में आएगा ।
पानी पिलाते समय चोर का हाथ बुढ़िया के हाथ से लगता है और उसे पता चलता है की सच में वो बुखार से तप रही है। चोर की नजर बिछावन के निचे रखे दवाई के डब्बे पर पड़ती है । वो सोंचता हैं क्यूँ न जाते - जाते एक बुखार की दवा देता जाऊं। ये सोंचकर वो डब्बे से बुखार की दवा तलाशने लगता है ।
बूढी औरत उत्सुकता से - अच्छा ,राजीव कौन । अरे गाँव में जो मुकेश के साथ पढ़ता था वो । सुनार का बेटा । तू भी शहर में रहता है अब ।
चोर दवा खिलाते हुए कहता है - ये दवा खालो अम्मा । और अम्मा मैं तो कभी तेरे गाँव गया ही नही ।
बूढी औरत दवा खाके आश्चर्य से पूछती है - अच्छा तो तू क्या मुकेश के पापा जी के दोस्त शिवप्रसाद जी का बेटा है । तेरे पापा तो बड़े अमीर हो गए बेटा । पहले बहुत गरीब थे । एक बार मैं तेरे घर गई थी । तब तू बहुत छोटा था ।
चोर को बुढ़िया की मासूमियत पे हंसी आ जाती है , वो हँसते हुए बोलता है - क्या बात करती है अम्मा । मैंने अपने पापा को तो कभी देखा ही नही । माँ कहती है जब मैं पेट में ही था ,मेरे बाप ने मेरी माँ को घर से निकाल दिया और दूसरी औरत ले आया । फिर माँ नानी के गाँव आ गई ।
बूढी औरत आवेश में बोली है - अरे बाप का राज है क्या । ऐसे कैसे निकल दिया । तेरी माँ ने पुलिस थाना नही देखा था क्या । एक रपट लिखती , तेरा बाप सारी उमर चक्की पिसता । बड़ा आया घर से निकालने वाला ।
चोर सोंचता है की इस घर के और सदस्य आ जाये इससे पहले निकल लेना चाहिए और वो बात काटते हुए कहता है - अब तू आराम कर । बात मत कर । बुखार है ना । सोजा आराम से ।
बूढी औरत को चोर की हमदर्दी बहुत अच्छी लगती है वो कहती है - अरे बेटा बुखार तो हर दो दिन में आ जाता है ।
चोर सोंचता है इतना बड़ा बंगला है इसके बाद भी बुढ़िया की अच्छे से दवाई नही करवाता कोई, वो आश्चर्य से पूछता है - तो मुकेश तुम्हे डॉ के पास नही ले जाता अम्मा ।
बूढी औरत अपने बेटे की वकालत करते हुए कहती है - ले गया था डॉ के पास । पर दवा कुछ काम ही नही करती बेटा । मेरा मुकेश कहता था चल दूसरे डॉ के पास । पर मेरी बहू ने मना करवा दिया । जलती है मुझसे ।
चोर गुस्से में - क्यों वो कौन होती है मना करने वाली । तू तो इस घर की मालकिन है अम्मा । सारी गलती मुकेश की है । ध्यान नही देता तेरा ।
बूढी औरत- ऐसी बात नही है बेटा । मुकेश तो बिलकुल अपने पापा पे गया है । इसके पापा भी ऐसे ही थे । काम में होते सब भूल जाते । पर एक चीज कभी नही भूलते । (हँसते हुए )
चोर - क्या
बूढी औरत - जलेबी । हा हा । सब कुछ भूल जाते जलेबी लाना नही भूलते । रोज रात को खाने के बाद जलेबी खाते थे हम लोग । अब भी कभी - कभी जलेबी खाने का बहुत मन करता है बेटा । पर अब मुकेश के पापा रहे नही और मुकेश के पास वक़्त ही नही ।
चोर - ठीक है अम्मा अभी सो जा । कल मैं तुम्हे जलेबी खिलाऊंगा । दवाई खाई ना , आराम करेगी , बुखार जल्दी उतरेगा ।
बूढी औरत - ठीक है मैं सो जाती हूँ । पर बेटा ऐसे बुखार उतरने से क्या फायदा । दो दिन बाद फिर चढ़ जायेगा । ये गोलियाँ किसी काम की नही है बेटा ।
चोर- ठीक है कल नई दवा ला दूंगा अभी सो जा ।
( चोर बुढ़िया को सुलाकर वापस खिड़की के पास लौटता है । अपने झोले से चुराया हुआ सारा सामान निकालकर कमरे में जस का तस रख आता है । वो बाहर जाने के लिए खिड़की के पास आता है तभी बुढ़िया की आवाज सुनाई देती है । )
बूढी औरत - बेटा । बड़ी जोर की भूख लगी है । लगता है बुखार भी उतर गया । कुछ खाने को दे दे बेटा । चला गया क्या ।
चोर - नही अम्मा । यही हूँ अभी ।रुक लाता हूँ कुछ खाने को ।
( चोर किचेन से दूध और ब्रेड लेकर आता है । )
चोर - ये ले अम्मा , दूध ब्रेड खाले ।
बूढी औरत - ले आया , बहुत भूख लग रही है । तूने कुछ खाया बेटा ।
चोर - अम्मा । तुम खालो मेरा भी पेट भर जायेगा ।
बूढी औरत - ( सर पे हाथ फेरते हुए ) तू तो मेरे मुकेश की तरह बातें करता है बेटा। बस उसकी बहु मुझे पसंद नही । कहती है विदेश ले जाएगी मेरे मुकेश को । ( रोने लगती है । ) मेरा बेटा मेरे पास रहे तो जलती है वो ।
बड़ी दुष्ट है । कलमुंही ।
चोर - रो मत अम्मा । कोई नही ले जायेगा तेरे मुकेश को तुझसे दूर । उसके कहने से क्या होता है । मुकेश कोई बच्चा थोड़ी न है । जल्दी से खाले और सो जा ।
बूढी औरत - ठीक है बेटा , तू भी जल्दी घर जा तेरी माँ तेरा इन्तजार कर रही होगी । जा जल्दी जा ।
चोर - हां अम्मा , जाता हूँ अब । (बूढी औरत के पाँव छूता है और खिड़की के पास जाता है ।)
Sunday, February 22, 2015
Friday, January 23, 2015
Tuesday, January 13, 2015
दर्द दवा हो जाता है
जब हद से दर्द गुजर जाये तब दर्द दवा हो जाता है ,
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ,
ये वक्त रेत के जैसा है जितना भी इसे पकड़ते हैं ,
हाथों से ऐसे फिसलता है की और जुदा हो जाता है,
किस्मत के आगे हारे हैं जाने ये कब से रूठा है ,
जितना हम इसे मनाते हैं ये और खफा हो जाता है ।
तन्हाई है बेचैनी है कुछ सपने हैं टूटे - फूटे ,
गम की इस कड़ी दुपहरी में दिन और बड़ा हो जाता है,
जब हद से दर्द गुजर जाये तब दर्द दवा हो जाता है ,
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ।।
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ,
ये वक्त रेत के जैसा है जितना भी इसे पकड़ते हैं ,
हाथों से ऐसे फिसलता है की और जुदा हो जाता है,
किस्मत के आगे हारे हैं जाने ये कब से रूठा है ,
जितना हम इसे मनाते हैं ये और खफा हो जाता है ।
तन्हाई है बेचैनी है कुछ सपने हैं टूटे - फूटे ,
गम की इस कड़ी दुपहरी में दिन और बड़ा हो जाता है,
जब हद से दर्द गुजर जाये तब दर्द दवा हो जाता है ,
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ।।
Sunday, January 11, 2015
जुदा होने का डर
तेरे हुजूर में झुका हुआ मेरा सर नही होता ,,
अगर तुझसे जुदा होने का मुझको डर नही होता । ।
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अगर तुझसे जुदा होने का मुझको डर नही होता । ।
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Thursday, January 8, 2015
यादों के सिवा
तेरी बातें हैं मुहब्बत है कहानी है तेरी ,
मेरे हिस्से में इन यादों के सिवा कुछ भी नही। …………।
प्लीज लाइक मे माई पेज। .......
https://www.facebook.com/pages/Suman-Entertainment/1573371756238884?ref=hl
मेरे हिस्से में इन यादों के सिवा कुछ भी नही। …………।
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Wednesday, January 7, 2015
Tuesday, January 6, 2015
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