जब हद से दर्द गुजर जाये तब दर्द दवा हो जाता है ,
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ,
ये वक्त रेत के जैसा है जितना भी इसे पकड़ते हैं ,
हाथों से ऐसे फिसलता है की और जुदा हो जाता है,
किस्मत के आगे हारे हैं जाने ये कब से रूठा है ,
जितना हम इसे मनाते हैं ये और खफा हो जाता है ।
तन्हाई है बेचैनी है कुछ सपने हैं टूटे - फूटे ,
गम की इस कड़ी दुपहरी में दिन और बड़ा हो जाता है,
जब हद से दर्द गुजर जाये तब दर्द दवा हो जाता है ,
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ।।
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ,
ये वक्त रेत के जैसा है जितना भी इसे पकड़ते हैं ,
हाथों से ऐसे फिसलता है की और जुदा हो जाता है,
किस्मत के आगे हारे हैं जाने ये कब से रूठा है ,
जितना हम इसे मनाते हैं ये और खफा हो जाता है ।
तन्हाई है बेचैनी है कुछ सपने हैं टूटे - फूटे ,
गम की इस कड़ी दुपहरी में दिन और बड़ा हो जाता है,
जब हद से दर्द गुजर जाये तब दर्द दवा हो जाता है ,
जब इश्क बंदगी हो जाये तब यार खुदा हो जाता है ।।
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