मैं भी मुजरिम तू भी मुजरिम,
जब सब का सब ही झूठा हो ,
फिर कोई भी ना अपना हो,
हर रिश्ता नाता कडवा हो,
हम झूठों की इस दुनियाँ में ,
सच को ही हम से खतरा हो,
अच्छा है जो ये परदा है,
ना हो तो क्या जाने क्या हो,
सच तो सच होता है यारो,
परदा हो या बेपरदा हो ।
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