मेरे वजूद से मुझको जुदा करता क्यूँ है ।
मैं भी इंसान हूँ मुझको खुदा करता क्यूँ है ।
मुझपे भी शक रखो यहाँ कोई पाक साफ नही ,
यूँ आँख मूंद के आखिर वफ़ा करता क्यूँ है ।
मेरी भी गलतियों पे रूठो मुझसे रार करो ,
तू नजरअंदाज मेरी हर खता करता क्यूँ है ।
कहीं अफ़सोस न हो तुझको एक दिन खुदपे ,
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