Theme of this blog is love and emotions attached . Songs , Gajals , Shayri written on this blog are completely my personal vies and feelings which i put into words. You can find different kind of emotion related to love and passion arranged into words which will touch your heart.
Friday, October 28, 2016
टूटा हुआ मैं पत्ता
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
ले चल हवा तू मुझको , जिस ओर हो ले जाना ।
तूफ़ान का मारा हूँ , किस्मत से मैं हारा हूँ ,
किसी डाल पे था कलतक , अब दरबदर पड़ा हूँ ,
मेरी ख्वाहिशें घरौंदा , मेरे ख़ाब आशियाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
न हिन्दू न मुसलमां हूँ , इक भूली दास्ताँ हूँ ,
सारा जहाँ है मेरा , पर मैं न किसी का हूँ ,
मजहब मेरी मुहब्बत , तबियत है आशिकाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
बारिश में भी जला मैं , पत्थर पे भी चला मैं ,
राहों में दिन गुजारा , दुश्वारी में पला मैं ,
मुझे याद बहुत आयें , गुजरा हुआ जमाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
मंजिल न जाने क्या हो , ठहराव कब कहाँ हो ,
किसको पता है कल का , है आज कल कहाँ हो ,
हम ना रहेंगे फिर भी , आएगा दिन सुहाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना I
ले चल हवा तू मुझको , जिस ओर हो ले जाना ।
तूफ़ान का मारा हूँ , किस्मत से मैं हारा हूँ ,
किसी डाल पे था कलतक , अब दरबदर पड़ा हूँ ,
मेरी ख्वाहिशें घरौंदा , मेरे ख़ाब आशियाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
न हिन्दू न मुसलमां हूँ , इक भूली दास्ताँ हूँ ,
सारा जहाँ है मेरा , पर मैं न किसी का हूँ ,
मजहब मेरी मुहब्बत , तबियत है आशिकाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
बारिश में भी जला मैं , पत्थर पे भी चला मैं ,
राहों में दिन गुजारा , दुश्वारी में पला मैं ,
मुझे याद बहुत आयें , गुजरा हुआ जमाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना ।
मंजिल न जाने क्या हो , ठहराव कब कहाँ हो ,
किसको पता है कल का , है आज कल कहाँ हो ,
हम ना रहेंगे फिर भी , आएगा दिन सुहाना ।
टूटा हुआ मैं पत्ता , ना घर है ना ठिकाना I
Friday, October 21, 2016
तू हमनशीं हमनवाज़ हमकदम बनजा
तू हमनशीं हमनवाज़ हमकदम बनजा,
न 'मैं' रहे, न 'तू' रहे आज हम बनजा।
मैं गुन गुनाउं गीत तुम हो मेरे,
मैं हार जाऊँ जीत तुम हो मेरे,
हूँ दिले-मरीज तू मरहम बनजा ,
तू हमनशीं हमनवाज़ हमकदम बनजा,
मितादूं फ़ासले जो भी आयें ,
तेरे पहलू में दिन गुजर जाये,
मैं सुर बनूंगा तू सरगम बनजा ,
न 'मैं' रहे, न 'तू' रहे आज हम बनजा।
मैं गुन गुनाउं गीत तुम हो मेरे,
मैं हार जाऊँ जीत तुम हो मेरे,
हूँ दिले-मरीज तू मरहम बनजा ,
तू हमनशीं हमनवाज़ हमकदम बनजा,
मितादूं फ़ासले जो भी आयें ,
तेरे पहलू में दिन गुजर जाये,
मैं सुर बनूंगा तू सरगम बनजा ,
राहत नही तुमको भी
राहत नही तुमको भी रात भर हम भी नही सो सके,
ना एक दूजे के संग जी सके न दुनियाँ के ही हो सके।
ना याद है ना ही भूले हैं हम,
खुशियां भुलादीं न भूले हैं गम,
घुटते रहें रात दिन बेसबब,जीभर के ना रो सकें।
ऐ ज़िंदगी तेरे सारे सितम,
दिल पे उठाया माना करम,
हम पा के भी न तुझे पा सकें ना खोके ही खो सके।
सारे क़िताबों से फेकें गुलाब,
खुशबू नही पर गए ऐ जनाब,
आँसू ही आँसू बहें बेहिसाब ना दागे-गम धो सके।
खुशबू नही पर गए ऐ जनाब,
आँसू ही आँसू बहें बेहिसाब ना दागे-गम धो सके।
Tuesday, October 4, 2016
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