Thursday, May 18, 2017

एक औरत की वेदना

तुम नाराज हो मुझसे
पर मैं तुम्हें नही मनाऊंगी
क्यूंकि,मैं भी नाराज हूँ तुमसे।
तुम इस लिए नाराज हो की मैं 
वक़्त पर तुम्हारे मोज़े नही दे पाती।
मैं इसलिए नाराज़ हूँ की तुम 
मुझे ही वक़्त नही दे पाते।
तुम्हे बुरा लगा की मैंने तुम्हारी बात नही मानी ,
मुझे बुरा लगा की तुम थोपते हो अपनी मनमानी।
तुम्हे लगता है कि निकलने लगे हैं मेरे पर ।
मुझे लगता है पिंजरे जैसा हो गया है घर ।
तुम रूठ गये की तुम्हे मैं मनाने आउंगी।
सही हूँ ,पर औरत हूँ, हार जाउंगी।
एक औरत की वेदना ।