Friday, October 21, 2016

राहत नही तुमको भी

राहत नही तुमको भी रात भर हम भी नही सो सके,
ना एक दूजे के संग जी सके न दुनियाँ के ही हो सके।

ना याद है ना ही भूले हैं हम, 
खुशियां भुलादीं न भूले हैं गम,
घुटते रहें रात दिन बेसबब,जीभर के ना रो सकें।

ऐ ज़िंदगी तेरे सारे सितम,
दिल पे उठाया माना करम,
हम पा के भी न तुझे पा सकें ना खोके ही खो सके।


सारे क़िताबों से फेकें गुलाब,
खुशबू नही पर गए ऐ जनाब,
आँसू ही आँसू बहें बेहिसाब ना दागे-गम धो सके।

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