Thursday, June 5, 2014

तेरी प्रेम दीवानी

दिल ऐसा नाराज हुआ ऐसी जिद ठानी ।
ऐसी रूठी मैं दीवानी फिर ना मानी ।

उसने दी आवाज मगर वापस ना आई ,
उसने बहुत मनाया पर मैं एक न मानी ।

उसने खत में नाम मेरे सब वादें भेजे,
संदेशे में भेजे सारी याद पुरानी ,

मैंने खत को पढ़े बिना ही जला दिए सब ,
फेर दिए वादे सब फेंके याद पुरानी ।

उसने कहा मैं हो गई हूँ पत्थर के जैसी ,
भूल गई मैं उसको उसकी प्रेम कहानी ।

हँसके मैं बोली तुम ज्यादा देर से आये ,
दर्द हुए नासूर सुख गए आँख के पानी ।

मैं अब मैं न रही न दिल पहले के जैसा ,
बरसों पहले मर गई तेरी प्रेम दीवानी । । 

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