मगरूर कह के हमें चल दिए वो , जो जज्बात हमको बताना न आया
बहुत देर ठहरे वो देखेंगे मुड़के , पर आवाज देके बुलाना न आया
मगरूर कह के हमें चल दिए वो , जो जज्बात हमको बताना न आया |
बहुत देर ठहरे वो देखेंगे मुड़के , पर आवाज देके बुलाना न आया |
बढाती गई दूरियां गलतफहमी , मगर हमें उलझन सुलझाना न आया |
वो सुनने को सच्चाई राजी हुए ना , और हमको करना बहाना न आया|
कहते रहे वो और सुनते रहे हम , हमें हाले दिल भी सुनाना न आया |
है उनके लिए खेलना दिल से आसां , हमें पैंतरे वो चलाना न आया |
देतें है वो दोस्ती की दुहाई , जिन्हें दोस्ती को निभाना न आया |
इतनी सी हमसे खता हो गई , हमें अपना दामन छुड़ाना न आया |
नाराजगी दूर करते तो कैसे , हमें उनके नखरे उठाना न आया |
पूछो न हैं क्यूँ खफा जिंदगी से , करे क्या दिल को बहलाना न आया|
है नाज उनको फितरत पे अपनी , हमें वो सलीका दिखाना न आया |
गिराकर हमीं को हमारी नजर में , गया वो जो मेरा दीवाना न आया |
मिलतें है दो दिल बड़ी मुश्किलों से , करे क्या दिल को मिलाना न आया |
कहते रहे वो और सुनते रहे हम , हमें हाले दिल भी सुनना न आया
है उनके लिए खेलना दिल से आसां , हमें पैंतरे वो चलाना न आया देतें है वो दोस्ती की दुहाई , जिन्हें दोस्ती को निभाना न आया
इतनी सी हम खता हो गई , हमें अपना दामन छुड़ाना न आया
नाराजगी दूर करते तो कैसे , हमें उनके नखरे उठाना न आया
पूछो न हैं क्यूँ खफा जिंदगी से , करे क्या दिल को बहलाना न आया
है नाज उनको फितरत पे अपनी , हमें वो सलीका दिखाना हमीं को हमारी नजर में , गया वो जो मेरा दीवाना न मिहै दो दिल बड़ी मुश्किलों से , करे क्या दिल को मिलाना न आया
बीतअब उम्र इस कसमकस में , वापस फिर क्यूँ वो जमये की हम न उन्हें रोक पाए , उन्हें भी तो वापस आ
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