Friday, April 11, 2014

दोस्त बुलाता नही कोई

इक तू नही शिकवा-गिला करता नही कोई ।
इक तू नही दिल से मिला करता नही कोई ।।

कहता नही सुनता नही कोई भला - बुरा ,
इक तू नही कोई दर्द समझता नही मेरा ।

उलझन ये जमाने की दुनियां के झमेले ,
इक तू नही चुपचाप ही सहते हैं अकेले ।

बेरंग से लगते हैं ये मौसम ये बहारें ,
इक तू नही भाते नही हसीन नजारे ।

कोई रूठता नही है मनाता नही कोई ,
जो तू नही तो दोस्त बुलाता नही कोई ।

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