Friday, April 18, 2014

दिल के गम

शिकायत हम करें क्या ,
दिल के गम करें तो क्या ,

दुश्मन हम ही जब दिल के ,
कोई सितम करे तो क्या ।

न हम समझा सके खुद को ,
कोई समझाये क्या मुझ को ,

ये मेरा दिल नही मेरा ,
हम इसका दम भरें तो क्या ।

तड़पता है मचलता है ,
न जगता है न सोता है ,

ये जब मेरी नही सुनता ,
हम आफत कम करें तो क्या ।











No comments:

Post a Comment