Tuesday, June 25, 2013

ऐ दोस्त

मुझको ये तेरी बेरुखी कहीं मार न डाले ।
                           ऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।

कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
                  तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे । 

2 comments:

  1. मुझको ये तेरी बेरुखी कहीं मार न डाले ।
    ऐ दोस्त मेरी दोस्ती का ये सिला न दे ।
    कितनी दुआओं बाद मिली ऐसी दोस्ती ,
    तुझको कसम न तोड़ के मिटटी में मिला दे ।

    वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    http://madan-saxena.blogspot.in/
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  2. dhanywad................Madan Mohan Saxena ji ............jrur jaungi smay mila to .

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