Saturday, April 13, 2013

मैं खुद से खफा हूँ

है उसकी गलतियाँ , मगर मैं खुद से खफा हूँ ,
मै मेरा न रहा  ,  जबसे उसका हुआ हूँ ।

इक सौदा दिल का हो गया ,नादानी में मुझसे ,
अब हाल है , अपने ही घर मेहमान बना हूँ ।

वो पूछ्ते हैं  ,  कबतलक रुकना है बताओ ,
मैं क्या  कहूँ , ये सोचके गुमसुम सा खड़ा  हूँ  ।

वो मुस्कुराते , जानते थे  ,  ऐसा ही होगा ,
वो दिल था, आज का दिन , उसी दर पे पड़ा हूँ ।

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