Saturday, March 9, 2013

दोस्ती निभाती रही बेपनाह मैं

घुटती हुई सांसें तेरी , मेरी पनाह में ।
टूटा हुआ दिल , दर्द सुनाता है राह में ।

मत पूछ की मैंने निभाई कैसे दोस्ती ,
बेचैन जब हुआ है तू , डूबी मैं आह में ।

मैंने तो है हर हाल में , निभाई दोस्ती ,
दुश्मन बना लिया भले , तूने निगाह में ।

अच्छा बुरा जो भी कहा , नफरत न थी मेरी ,
बरबादियों से कर रही थी  , बस आगाह मैं ।

तू बैर निभाता रहा है  ,  मुझसे बेवजह ,
और दोस्ती निभाती रही   , बेपनाह मैं ।  

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